फाइनेंस क्या होता है? फाइनेंस के प्रकार | What is Finance? Types of Finance in Hindi

नमस्कार मित्रों, आज के इस लेख में मैं आपको फाइनेंस से संबंधित जानकारी देने वाला हूँ, की फाइनेंस किसे कहते है? फाइनेंस क्या होता है? इन सब के बारे में आपको विस्तार से बताने की कोशिश करेंगे।

आज के इस आर्थिक युग में हम बहुत ही छोटी उम्र में फाइनेंस शब्द सुन लेते है। यह सुनने के बाद हमारे मन में प्रश्न आता है आख़िरकार फाइनेंस क्या होता है? फाइनेंस किसे कहते है? फाइनेंस शब्द कहा से आया। अक्सर हम सुनते है फाइनेंस डिपार्टमेंट, फाइनेंस मिनिस्टर, फाइनेंस जॉब्स, फाइनेंस एडवाइज़र।

फाइनेंस क्या होता है? (What is Finance?)

फाइनेंस शब्द फ़्रेंच भाषा से लिया गया है जिसका हिन्दी में अर्थ होता है वित्त। फाइनेंस कई कार्य विधियों का एक ग्रुप है। फाइनेंस बहू उद्देश्य शब्द है। किसी भी व्यक्ति,कंपनी और गवर्नमेंट के लिए वित्त यानी फाइनेंस बहुत ही आवश्यक होता है।

क्या आपने कभी समुद्र देखा है जिस प्रकार से एक समुद्र काफ़ी बड़ा अपने आप में बहुत ही विशाल रूप होता है, उसी प्रकार पैसों के मामले में फाइनेंस भी उसी प्रकार का एक समुद्र है। जिसके बारे में जितना भी लिखा जाये उतना कम है। फाइनेंस यानी किसी कार्य, उत्पादन, कंपनी व्यवस्था को चलाने के लिए हमे जिस पूँजी की आवश्यकता पड़ती है उसे वित्त यानी फ़ायनेंस कहते है।

इस पूँजी का सीधा संबंध हमारे पैसे से होता है, किसी भी कंपनी या फिर संस्था या फिर किसी भी स्टार्टअप को सुचारू रूप से चलाने के लिये हमे पैसों की आवश्यकता होती है। अगर हम उसने लेबर रकते है या फिर किसी भी प्रकार के कोई कर्मचारी रखते है तो गेम उनकी तनख़्वाह देनी होती है।

इन सभी का काम पैसों से ही हो सकता है। बिना पैसों के नहीं हो सकता है सीधे सरल भाषा में कहे तो फाइनेंस का मतलब है पैसों का प्रबंध। किसी भी मैन्यूफ़ैक्चरिंग यूनिट या फिर कंपनी को स्टार्ट करने के लिए जाने पैसों की ज़रूरत पड़ती है। वह पैसों हम ख़ुद से भी इन्वेस्ट कर सकते है या फिर संस्थाये है जो हमे लोन देती है। उन्हें हम फाइनेंसियल इंस्टिट्यूट कहते है।

फाइनेंस के प्रकार कितने होते है? (Types of Finance)

दोस्तों अब बात करते है फाइनेंस कितने प्रकार का होता है। फाइनेंस तीन प्रकार के होते है – १ पर्सनल फाइनेंस जिसे हिन्दी में कहते है व्यक्तिगत वित्त, २ कॉर्पोरेट फाइनेंस यानी की निगम वित्त और ३ पब्लिक फाइनेंस यानी की सरकार का जो पैसा होता है उसको मैनेजमेंट करना।

इन तीनों का कार्य समान होता है सही तरीक़े से इन्वेस्टमेंट करना, लेनदारी के लिए फण्ड व्यवस्थित करना, खर्च, इन्वेस्टमेंट और बैंकिंग का सही ज्ञान होना। इन सभी का प्रकार समान होता है लेकिन व्यक्ति, कंपनी और सरकार के मामले में इनका अर्थ बदल जाता है।

१ पर्सनल फाइनेंस: जैसा कि हमे पढ़ने से ही पता चलता है कि पर्सनल फाइनेंस किसी भी व्यक्ति के धन को कैसे संभला जाये, धन पे कैसे नियंत्रण रखा जाये और उनके जो पैसे है धन है उनसे किस प्रकार से और पैसों को ग्रो किया जाये।

२ कॉर्पोरेट फाइनेंस: कॉर्पोरेट यानी की सामूहिक संगठित कंपनी, संगठन या फिर निगम का फाइनेंस।

३ पब्लिक फाइनेंस: इसका मतलब लोगो के पैसों को व्यवस्थित करना संभालना आदि।

यह था फाइनेंस के बारे में छोटा सा विस्तार अगर आपको कोई समय होती है तो कमेंट करे नीचे दिये गये स्टार रेटिंग पर रेट करे, धन्यवाद।

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